मधुमेह : जानें अपने रोग के बारे में
यह
क्या है?
मधुमेह/डायबिटीज मेटाबोलिक विकारों का एक समूह है जिसमें रक्त में बहुत अधिक शर्करा हो जाता है। यह इंसुलिन नामक एक हार्मोन की आपेक्छाकृत कमी के कारण होता है, जो पेट के पीछे स्थित अग्न्याशय नामक एक ग्रंथि द्वारा बनता है। Diabetes एक ग्रीक शब्द है जिसका अर्थ है-से गुजरना / बहना तथा Mellitus का मतलब 'मिठा' होता है। शरीर में शर्करा (ग्लूकोज) का संतुलन इंसुलिन द्वारा नियंत्रित होता है और हमारे शरीर की कोशिकाओं को ऊर्जा के लिए उपलब्ध ग्लूकोज का उपयोग करने मे सहयोग करता है।
यह कितने प्र्कार का होता है?
मुख्य रुप से तीन प्रकार के होते है
(क) टाइप 1 डायबिटीज/ इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज मेलिटस (IDDM)/ जुवेनाइल डायबिटीज : इस प्रकार के मधुमेह में हमारा शरीर, प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा अग्न्याशय(Pancreas) के क्षतिग्रस्त होने के कारण पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता है। यह मुख्य रूप से युवा लोगों में होता है। कम पाया जाता है।
(ख) टाइप 2 डायबिटीज / नॉन इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज मेलिटस (NIDDM) / एडल्ट ऑनसेट डायबिटीज / मैच्योरिटी ऑनसेट डायबिटीज: इस प्रकार के मधुमेह में हमारा शरीर इंसुलिन बनाने में सक्षम होता है, लेकिन कोशिकाएं इनका सही इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं। प्रतिरोध विकसित होता है। मुख्य रूप से 40 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में होता है, जो अधिक वजन वाले होते हैं और ऊर्जा की अधिकता वाले आहार लेते हैं, उनका मधुमेह से जुडा पारिवारिक इतिहास और गतिहीन जीवन शैली होता है।
(ग) गर्भकालीन मधुमेह / गर्भावस्था प्रेरित मधुमेह: यह मधुमेह गर्भवती महिलाओं में होता है तथा गर्भधारन के पूर्व से नही पाया जाता है । इंसुलिन रिसेप्टर्स की संवेदनशीलता कम होने के कारण शरीर में उच्च रक्त शर्करा का स्तर विकसित होता है जो बाद में टाइप 2 मधुमेह का कारण बन सकता है।
इसके लक्षण क्या हैं?
मधुमेह के आम लक्षण:
- बहुमूत्रता(Polyuria) यानि लगातार (प्रति घंटा या अधिक) और
- अत्यधिक पेशाब (रात में विशेष रूप से) होना
- Polydipsia यानी अत्यधिक प्यास लगना
- Polyphagia यानी अत्यधिक और बार-बार भूख लगना
- थकान, कमजोरी और ऊर्जा की कमी महसूस होना
- वजन में कमी (मुख्य रूप से टाइप 1 में) और मांसपेशीयो का नुकसान
- बार-बार ओरल थ्रश अर्थात मुह मे छाले आना
- बार-बार संक्रमण, विशेषकर त्वचा का
- घावों / कटौती की धीमी गति से सही होना
- दृष्टि का धुंधला होना
इसका निदान कैसे किया जाता है ?
मुख्य रूप से रक्त शर्करा के स्तर और HbA1c द्वारा
1. रक्त शर्करा परीक्षण: इसमे उपवास रक्त शर्करा (FBS),
दो घंटे के बाद की रक्त शर्करा (PP) और
मौखिक रक्त सहनशीलता परीक्षण शामिल है
2. ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन (HbA1c)
मधुमेह के नैदानिक मानदंड स्थिति
मधुमेह के नैदानिक मानदंड |
|||
स्थिति |
2 घंटे * प्लाज्मा ग्लूकोज |
उपवास प्लाज्मा ग्लूकोज |
एचबीए 1 सी (HbA1c ) |
|
mmol/l(mg/dl) |
mmol/l(mg/dl) |
% |
सामान्य |
<7.8 (<140) |
<6.1 (<110) |
<6.0 |
बाधित उपवास ग्लूकोज |
<7.8 (<140) |
≥ 6.1(≥110) & <7.0(<126) |
6.0–6.4 |
बाधित ग्लूकोज सहनशीलता |
≥7.8 (≥140) |
<7.0 (<126) |
6.0–6.4 |
मधुमेह |
≥11.1 (≥200) |
≥7.0 (≥126) |
≥6.5 |
* 75 ग्राम मौखिक ग्लूकोज लेने के 2 घंटे बाद शिरापरक (Venous) प्लाज्मा ग्लूकोज का स्तर
अन्य परीक्षण जो निदान में सहायता करते हैं:
लिपिड प्रोफाइल (उपवास): इसमें कुल कोलेस्ट्रॉल, एलडीएल (LDL),
एचडीएल (HDL)और ट्राइग्लिसराइड्स शामिल हैं
- जिगर कार्य परीक्षण (LFT)
- गुर्दा कार्य परीक्षण (KFT)
- थायराइड कार्य परीक्षण (TFT)
क्या इसका इलाज संभव है?
नहीं, अब तक नहीं, लेकिन संतुलित आहार,नियमित व्यायाम और
दवाओं (यदि आवश्यक हो तो)द्वारा इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
मधुमेह वाले अधिकांश लोग बीमारी के अच्छे प्रबंधन के साथ सामान्य
जीवन जीते हैं। प्रमुख कारकों में रक्तचाप, रक्त शर्करा और कोलेस्ट्रॉल
को नियंत्रित किया जाता है। व्यायाम के साथ-साथ एक स्वस्थ और
संतुलित आहार आवश्यक है।
इसका प्रबंधन कैसे किया जाता है?
प्रबंधन के मूल उद्देश्य हैं:
- उपवास रक्त शर्करा (FBS): 6.1 से 8 mmol / L
- HBA1c: <7%
- कुल कोलेस्ट्रॉल: <4 mmol/ L, LDL: <2 mmol / L,
- HDL:> 1 mmol / L, ट्राइग्लिसराइड्स: <2 mmol/ L
- मूत्रजन्य एल्बुमिन उत्सर्जन: <20 mcg/ min (रात भर का संग्रह)
और <20 mg/L (स्पॉट संग्रह)
- एल्बुमिन क्रिएटिनिन अनुपात: <2.5 mg/ mmol-पुरुष,
<3.5 mg / mmol-महिला
- रक्तचाप: प्रोटीनमेह (Proteinuria) के बिना <130/80 mmHg
और प्रोटीनमेह (Proteinuria) (1gm/day के साथ <125/75 mmHg
- आदर्श वजन, पुरुषों के लिए कमर 94 cm से आधिक नहीं और
महिलाओं के लिए कमर 80 cm से आधिक नहीं होना चाहिये
- बॉडी मास इंडेक्स (BMI): 18-25 Kg/m2
- कम वसा और उच्च जटिल कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार
- सिगरेट नहीं पीना चाहिये
- शराब बिल्कुल नहीं या कम से कम
- (2 या कम मानक पेय (20 gm/day)
- व्यायाम: कम से कम 30 min की पैदल दूरी (जैसे 2 km/day),
सप्ताह में 5 या अधिक दिन (प्रति सप्ताह 150 min)। एरोबिक्स,
टेनिस, तैराकी आदि भी किए जा सकते हैं।
1. जीवन शैली के उपाय एवम संतुलित आहार:
एक विशेष आहार जिसमें कार्बोहाइड्रेट और वसा का सेवन नियंत्रित होता है।
उद्देश्य ये रखने हैं
(क) आदर्श वजन (न तो मोटे और न ही पतले)
(ख) ब्लड शुगर लेवल सामान्य और मूत्र मे शर्करा नही होना
यह इन उपयो द्वारा प्राप्त किया जा सकता है:
• नियमित रूप से अच्छा भोजन खाना (कंजूसी नहीं करना)
• भोजन को पूरे दिन में कम - कम करके खाना (तीन मुख्य भोजन
और तीन स्नैक्स)
• वसा को कम से कम करना
• चीनी और परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट से परहेज
(जैसे जैम, शहद, चॉकलेट, मिठाई, पेस्ट्री, केक, शीतल पेय)
• अधिक प्राकृतिक जटिल कार्बोहाइड्रेट (स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थ)
जैसे साबुत रोटी, आलू और अनाज खाना
• अच्छी किस्म के फल और सब्जियां खाना
• शराब बिल्कुल नही या बहुत थोड़ा पीना
• ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) के बारे में जानना और
कम (GI) वाले खाद्य पदार्थ खाना
- व्यायाम: बहुत महत्वपूर्ण है
- धूम्रपान निषेध
2. दवाएं:
· ओरल एंटीडायबिटिक ड्रग्स (OADs)
· इंसुलिन
· सहवर्ती चिकित्सा स्थितियों का उपचार
मधुमेह के कारण क्या जटिलताएं हो सकती हैं?
नियंत्रित रक्त शर्करा के स्तर वाले लोगों में कम आम और कम गंभीर।
ये हैं
तत्कालिक/एक्यूट:
1. डायबिटिक कीटोएसिडोसिस (DKA)
2.Hyperglycemia (आति शर्करा)
3.Hypoglycemia (निम्न शर्करा)
4. मधुमेह कोमा
जीर्ण/ क्रोनिक:
(क) सूक्ष्म संवहनी रोग: ये छोटे रक्त वाहिकाओं को नुकसान के
कारण होते है। य़े हैं
नेत्र रोग- रेटिनोपैथी, मैकुलर एडिमा
न्यूरोपैथी-संवेदी, मोटर और स्वायत्त
नेफ्रोपैथी- सीआरएफ को जन्म दे सकती है
(ख) मैक्रो-वैस्कुलर रोग: ये हैं
कोरोनरी धमनी रोग (CAD)
परिधीय धमनी रोग (PAD)
सेरेब्रोवास्कुलर रोग (CVD)
(ग) अन्य रोग:
कैटेरैक्ट
ग्लोकोमा
बैक्टीरियल, फंगल और अन्य त्वचा संक्रमण
दन्त रोग
- जोडो के रोग
संदर्भ:- https://www.who.int/
mediacentre/factsheets/fs236/ en - https://www.niddk.nih.gov/
health-information/diabetes - www.who.int
- www.nhs.uk
- www.cdc.gov
- https://www.cdc.
gov/diabetes/consumer/learn. htm - https://www.niddk.nih.gov/not-
found?404url=diabetes.niddk. nih.gov/dm/pubs/overview/# managed - https://www.nice.org.uk/
guidance/ng28 - www.diabetes.co.uk
- Deed G, Ackerman E (eds). General Practice Management of Type 2 Diabetes. Melbourne: Diabetes Australia & RACGP, 2013–14 (book available from www.diabetes australia.com.au or www.racgp.org.au
- RACGP. Guidelines for Preventive Activities in General Practice (the red book) (8 th edn). Melbourne, 2013: 55–7. < www. racgp.org.au/guidelines/redbook >
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